०५९४ धन्य मुनिदशा ! जहाँ मुनिराज जगे वहाँ जगत सोये, जहाँ जगत जगे वहाँ मुनिराज सोये !

1:20:16

विशेष प्रवचन - डॉ.शुद्धात्मप्रकाश भारिल्ल,जयपुर :- कल्याण कैसे हो ...गुरसराय पंचकल्याणक

14:50

०५९५ पर के ग्रहण-त्याग से रहित वर्तमान में ही मैं तो निवृत्त स्वरूप ही हूँ !

1:23:58

आ. बाबू 'युगल' जी - श्री विक्रमभाई, न्यूयॉर्क एवं अन्य साधर्मियों के साथ चर्चा 03.06.2013

18:35

०५९३ धन्य मुनीदशा !! धन्य मुनिराज की अन्तर - बाह्य परिणति !!

6:17

हम पहले सामाजिक है या आत्मा है? सामाजिकता के नाम पर जिनवाणी को बेज न दें | Babuji Yugalji

20:51

०५८९ क्या पाँचो समवाय पुरुषार्थ के आधीन है ?? फिर पुरुषार्थ किसके आधीन है ??

21:04

०५९६ परद्रव्य से विरक्तता और विभाव से तुच्छता लगे बिना अंतर में जा सकते नहीं !

36:34

०६०२ आचार्य पद आरोहण दिन निमित्त पूज्य गुरुदेवश्री का अद्भुत प्रवचन !