०५८९ क्या पाँचो समवाय पुरुषार्थ के आधीन है ?? फिर पुरुषार्थ किसके आधीन है ??
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०६०२ आचार्य पद आरोहण दिन निमित्त पूज्य गुरुदेवश्री का अद्भुत प्रवचन !
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सारा खेल मन का है: It's All in the Mind 09 Dec
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०५९० आत्मप्रेम ऐसा होता है की और कुछ सुहाता नही।।खिचा चला जाता है जहा प्रेम हो।।दुनिया नही दिखती👍
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जैन आचार्य विश्वरत्न सागर जी महाराज व उनके परिकर से महाराज जी की क्या प्रेम वार्ता हुई ? Bhajan Marg
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सर्वज्ञ और वीतराग भगवान को संस्कार से नहीं निर्णय करके स्वीकारें | Babuji Yugalji
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०५९५ पर के ग्रहण-त्याग से रहित वर्तमान में ही मैं तो निवृत्त स्वरूप ही हूँ !
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०६०१ है गुरुदेव ! भावकभाव के बाद ज्ञेयभाव से भेदज्ञान की विधि क्या है ?
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