०५९४ धन्य मुनिदशा ! जहाँ मुनिराज जगे वहाँ जगत सोये, जहाँ जगत जगे वहाँ मुनिराज सोये !
13:30
Radical Thinker M N Roy on the Historical Role of Islam: Dr Abhay Kumar explains
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०५९३ धन्य मुनीदशा !! धन्य मुनिराज की अन्तर - बाह्य परिणति !!
14:50
०५९५ पर के ग्रहण-त्याग से रहित वर्तमान में ही मैं तो निवृत्त स्वरूप ही हूँ !
17:21
परिणमन की चिंता में व्याकुल क्यों रहना? | क्रमबद्ध पर्याय
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पंजाब के नेताओं ने यूपी के डॉक्टरों को दी नसीयत+919872667299+919356200950
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०५९१ शील का स्वरूप ! जहाँ ज्ञान वहाँ शील ! जहाँ शील वहाँ ज्ञान !
1:23:58
आ. बाबू 'युगल' जी - श्री विक्रमभाई, न्यूयॉर्क एवं अन्य साधर्मियों के साथ चर्चा 03.06.2013
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