हम रूहे परमधाम में, इश्क में जिए इश्क रहे इश्क में बैठे इश्क में उठे निस दिन इश्क इश्क इश्क बस
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क्या आत्म जागृति के बाद भी कर्म काटने पड़ते हैं? Amit Ji
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धनी नाम धनी गुण इतना बोलिए विचारिये की रग रग में श्री राज हो जाए || परमधाम दर्शन Amit ji
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हर समस्या का समाधान अवस्य होता है बस हमे समय की कद्र और सब्र होनी चाहिए
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क्या कारण है जो परमहंसों को परमधाम दिखता था और हमे नहीं दिख रहा ? चितवन कैसे लगेगी ? Amit Ji
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इस तन से आत्म जागृत नहीं हुई, तो क्या होगा?
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इश्क और इमान किसे कहते हैं? by Amit ji || श्री रतनबाई जी की सुंदर प्रेम कहानी भाग 3
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✨इसे सुनने से पहले चितवनी में न बैठे, Quick tips for deep meditation 👉 मेरे मीठे बोले साथ जी # 5
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