०५८९ क्या पाँचो समवाय पुरुषार्थ के आधीन है ?? फिर पुरुषार्थ किसके आधीन है ??
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०५९० आत्मप्रेम ऐसा होता है की और कुछ सुहाता नही।।खिचा चला जाता है जहा प्रेम हो।।दुनिया नही दिखती👍
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सारा खेल मन का है: It's All in the Mind 09 Dec
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०५९५ पर के ग्रहण-त्याग से रहित वर्तमान में ही मैं तो निवृत्त स्वरूप ही हूँ !
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इन भावों का फल क्या होगा ? : DR SP BHARILL #ptst #spbharill
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भजन - दो घड़ी निजनाथ के नजदीक में आओ... - बा.ब्र.पं. सुमतप्रकाश जी
1:02:00
m.m.p.722 मन कैसे काम करता है
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आ. बाबू 'युगल' जी - श्री पंकजभाई जवेरी, मुंबई के साथ चर्चा 20.12.2013
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