मिलती है साधुओं की संगत कभी-कभी (हशमुख अकेला)
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लिख श्याम शाम मेरे सार है (रामजी लाल रसिया)
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कैसी करुणामयी की कलाकारी है, चित से चक्कर चलाते चमत्कारी है(रामजी लाल रसिया)
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बाबुल की दुआए ले ती जा// राजीव राजपूत नगला जवाहर की आवाज मे सुंदर पृसतुती
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वह मुरलीधर छलिया मोहन हम भी तुमको दिल दे बैठे(हसमुख अकेला)
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मेरे हृदय गई समाई भक्तों के भाव भरी भक्ति(गोपाल)
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वृद्ध अवस्था में अपनों ने साथ छोड़ दिया
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