माया भाग १
12:19
आत्मज्ञान
28:26
सत्संग १३ : मिथ्या, मान्यता, एकता, मानदंड, विसत्य
1:10:34
सत्संग १० : अहम, अनुभवकर्ता का ज्ञान और संबंध, अनुभव एक हैं, चेतना, नैतिकता
55:34
सत्संग ११ : ज्ञान के स्तर, दुःख, अनुभव का कारण, नैतिक, मनन, त्याग, ज्ञान अर्जन, कृपा
4:48
साक्षीभाव
43:52
सत्संग १२ : मनोशरीर यंत्र, स्वयंसिद्ध, माया, बाधा, एक अनुभवकर्ता, सही मार्ग
47:17
सत्संग ५ : सीमित, वर्जित, ज्ञान का अंत, नकारात्मक अनुभव साक्षीभाव के प्रभाव, गणित, बुद्धि, अहम, जीवन
4:30