गीत 103- गज़ल-अंधेरी निशा में नदी के किनारे धधकती किसी की चिता जल रही है
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गीत 31-पूर्वी-हम ना रहबी ए राजाजी रऊरी महलिया हो सऊतिन के बोलिया सालेली ए राम
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गीत 238-श्यामा मिले त लेले अईह ए उधो बाबा
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अंधेरी निशां मे नदी के किनारे.(भोजपूरी गज़ल) स्वर -डा० डी० एन० राठौर
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भिखारी ठाकुर जी के पूर्वी छपरहिया धुन ब्यास भागेश्वर सिंह।सब्सक्राइब किजिए और शेयर किजिए
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Pinjadwa Ke Chhod Ud Jayi Suganwa
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srinath singh lokgeet gayak . भोजपुरी लोकगीत श्रीनाथ सिंह
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गीत 188-ना जाने पंछी कब उड़िहे चमन से धोआत रहो रसना हरि के भजन से
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