"गबन"- मुन्शी प्रेमचन्द-" Part-03" - "अध्याय 27 से अध्याय 39 तक की कथा"- 2nd Semester
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" सखि वे मुझसे कहकर जाते"- मैथिलीशरण गुप्त- Part- 04- पंक्ति का अर्थ
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Gaban bhaag 38 | गबन भाग 38 | मुंशी प्रेमचंद | उपन्यास | Novel by Munshi PremChand
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CURRENT AFFAIRS FOR UPPSC @ 22 DECEMBER 2024
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सेस गनेस सुरेसहु दिनेस सुरेसहु ,,,,,,,,,,,,,,,नाच नचावै
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अति लोक की लाज समूह
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" वे मुतमइन है आवाज में असर के लिए।"- व्याख्या- कवि दुष्यंत कुमार की साकारात्मक सोच ।
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" खुदा नहीं,न सही ,आदमी का ख्वाब सही"- अर्थ व व्याख्या[ " कहाँ तो तय था चिरागाँ -- "- दुष्यंत कुमार
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