170) एक निरन्जन काल है एक निरन्जन नाम ।। कहत कबीर सुनो भाइ साधो ।।
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171) त्रिकुटि के नाम पर कालदूतों की साजिश जरूर पह्चानें ।। कहत कबीर सुनो भाई साधो नितिन दास ।।
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181) अनुभव ज्ञान के बिना सब ज्ञान अज्ञान है । कहत कबीर सुनो भाई साधो ।।
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सूरत स्थिर क्यों नहीं होती ||सूरत को शब्द में कैसे लगाया जाता है √क्या सारशब्द ही निज घर है#Nitin ji
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कर्म कैसे बनते है ? और कैसे कटते है 🤔कर्मो का खेल क्या है || नितिन दास सत्संग 🙏#nitindas #moolgyan
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169) कहाँ और कैसा है मुक्ति द्वार ।। कहत कबीर सुनो भाई साधो नितिन दास ।।
36:48
172) निहक्षर है रूप हमारा ,नास्त्रेदमस की भविश्यवाणी में दोनो अलिफ का भेद ।।कहत कबीर सुनो भाई साधो ।
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आत्मा परमात्मा एक कैसे है । शब्द कौन है कबीर कौन है । नितिन दास सुंदर विवरण
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