संपूर्ण धर्मो के ज्ञाता सर्वदर्शी! सुरेश्वर !भगवान मैंने जो अपराध किया है वह सब आप क्षमा कीजिए।४६-७८

19:55

श्रीरामजी ब्रह्म रुद्र और विष्णु नामक भिन्न-भिन्नरूप धारण करके विश्वकी सृष्टि ,संहार और पालनकरतेहैं।

19:04

रामायण नामक काव्य का श्रवण करने वाला मनुष्य पाप- दोष से रहित हो अच्युतस्वरूप हो जाता है।

20:21

श्रीलक्ष्मी जी के आनन्दनिकेतन भक्तों को अभय देनेवाले परमानंद स्वरूप भगवान श्री रामचंद्र जी को प्रणाम

12:06

श्री राम नाम ही हमारा जीवन है कलयुग में और किसी उपाय से जीव को सद्गति नहीं होती नहीं होती नहीं होती

9:05

प्रत्येक प्राणी को प्रभु श्री रामचंद्र जी के श्रीचरणों में शबरी जैसी भक्ति हम सभी को प्राप्त हो ।।

8:42

गंगा के समान तीर्थ माता के तुल्य गुरु भगवान के सदृश देवता तथा रामायण सेबढ़कर कोई उत्तम वस्तु नहीं है

7:14

जबतक मनुष्य कमाकर देता है तभी तकलोग उसके मित्र बने रहते है मूर्ख मनुष्यअपनेपाप को अकेले ही भोक्ता है

6:51

यह पवित्र आख्यान समस्त पापों का नाश करने वाला है इसे बांचताअथवा सुनता है श्री रामजी का भक्त होता है