संपूर्ण धर्मो के ज्ञाता सर्वदर्शी! सुरेश्वर !भगवान मैंने जो अपराध किया है वह सब आप क्षमा कीजिए।४६-७८
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श्रीरामजी ब्रह्म रुद्र और विष्णु नामक भिन्न-भिन्नरूप धारण करके विश्वकी सृष्टि ,संहार और पालनकरतेहैं।
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रामायण नामक काव्य का श्रवण करने वाला मनुष्य पाप- दोष से रहित हो अच्युतस्वरूप हो जाता है।
20:21
श्रीलक्ष्मी जी के आनन्दनिकेतन भक्तों को अभय देनेवाले परमानंद स्वरूप भगवान श्री रामचंद्र जी को प्रणाम
12:06
श्री राम नाम ही हमारा जीवन है कलयुग में और किसी उपाय से जीव को सद्गति नहीं होती नहीं होती नहीं होती
9:05
प्रत्येक प्राणी को प्रभु श्री रामचंद्र जी के श्रीचरणों में शबरी जैसी भक्ति हम सभी को प्राप्त हो ।।
8:42
गंगा के समान तीर्थ माता के तुल्य गुरु भगवान के सदृश देवता तथा रामायण सेबढ़कर कोई उत्तम वस्तु नहीं है
7:14
जबतक मनुष्य कमाकर देता है तभी तकलोग उसके मित्र बने रहते है मूर्ख मनुष्यअपनेपाप को अकेले ही भोक्ता है
6:51