Peer Zada Qasim,भला वो कौन था जिसने तुम्हें पहले-पहल चाहा, वो मेरा इश्क़ था मैं था वो शायद मैं ही था
35:13
Peer Zada Qasim, चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए
26:50
Peer Zada Qasim,अब मेरा दर्द बुझ गया, अब मेरा ज़ख्म भर चला फिर वही दोस्त आएगा -पीरजादा क़ासिम
29:33
Mushaira Iftikhar Arif, Prof Peerzada Qasim Mushaira Washington DC 1990
23:04
Khumar Barabankvi, दुश्मनो से प्यार होता जायेगा दोस्तों को आज़माते जाइये ,खुमार बाराबंकवी
20:29
हाजी नहीं मौला नहीं हम न ही पीर हैं | Mahesh Srivastav | #poetmaheshsrivastav
9:23
आप Peerzada Qasim : अजीब हैं । Aap Bahut Ajib Hain । اپ بہت عجیب ہیں
20:06
Pirzada Qasim's Exceptional Poetry | Indian Republic Day Kavi Sammelan & Mushaira Dubai 2011
28:07