निर्गुण - बिरथा बिते ला उमरिया, बिन भजन के #kabir #nirgun #bhajan
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निर्गुण - चोला अनमोल मिला रे, गफलत में क्यों सोया।। निर्गुण, भजन।।
9:19
निर्गुण - तब तोहसे राजी सजनवा , इहे देइदा एक मंगनवा हो ।। जवान लोग फेल है दादा जी के आगे।।
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मरना-मरना सब कहें, मरना न जाने कोई, मरना है तो ऐसा मरो, फिर मरना ना होय । #kabir #nirgun #bhajan
9:55
निर्गुण - बिना दाम के सौदा बिकाय, बजरिया रोज लगी।।
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मेरे गुरू चरण की धूल मस्तक लागे रही महन्त मंगल दास साहेबका भजन जरुर सुनो
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निर्गुण भजन - एक डाल दो पंछी रे बैठा ~ Ek Daal Do Panchhi Re Baitha ~ Kabir Dohe ~ Gyanendra Sharma
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विशेष संदेश ll Sant Rampal ji Maharaj Vishesh Sandesh | 21 जनवरी 2025
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