मुझे पता है कि मैं नहीं हूं तुम्हारी गोदी के काबिल, लेकिन अपनी गोदी के काबिल भी तुम्हें ही बनाना पड़
8:27
सरस माधुरी भले बुरे भी, जैसे हैं सो तेरे हैं ! भागवत कथा, ठाणे, मुंबई !
4:04
तुझसे नहीं सुलझें जो तेरे उलझे हुए धंधे, तो भगवान के इंसाफ पर तू छोड़ दे वंदे! भागवत कथा,वैष्णोदेवी
5:20
मन की तरंग मारलो, वाणी का स्वर संभाल लो , लो हो गया भजन ! भागवत कथा, ठाणे, मुंबई !
5:04
यह कथा न बैकुंठ में उपलब्ध है , न स्वर्ग में । और बिना कथाएं सुने विवेक जाग्रत हो नहीं सकता। भागवत क
4:17
घट घट में राम निहार लो , लो हो गया भजन। समता का अंजन आंजलो , बस हो तो भोजन। भागवत कथा, ठाणे, मुंबई !
5:49
भलौ बुरौ जैसौ हूं तिहारौ, तुम बिन कोऊ न हितू हमारौ। भागवत कथा, जगन्नाथपुरी!
5:45
सुनते ही दौड़े चले आए मोहन, लगाया गले से सुदामा को मोहन! भागवत कथा, ठाणे, मुंबई!
6:36