गुरुदेव को उनकी मांग अच्छी नहीं लगी थी उनसे कुछ ले लेना ठीक नहीं कुछ दिनों के बाद जब वे सज्जन गुरु
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केवल शिवरात्रि के अवसर पर मेले में बहुत लोग वहां आकर निवास करते हैं मेरे पिता जी की इच्छा थी कि आप
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वहां अचानक हैजा की बीमारी फैल गई वह सोचने लगा कि मेरे परिवार में कोई नही बचा घर में संपत्ति भी नहीं
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इनकी छाती फटी जा रही थी किंतु कोई चारा नहीं था गुरुदेव कमरे से इनका नाम लेकर पुकारने लगे गुरुदेव के
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आश्रम में एक दिन मैं बरामदे में बैठकर रोटी सब्जी खा रहा था एक छोटी मरी हुई मछली थी गुरुदेव की बात
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महर्षि मेंही प्रबचन : गुरु कैसे होते है , Maharshi Mehi Prabachan @satsangmahima6288
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कई महीनों के बाद वहां से उत्तर आया मैने तुमको क्षमा कर दिया है आप कुछ दिन सत्संग कर वापस लौट आए
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sadguru maharshi mehi gyan Sagar is live
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