3.32 सम्यग्दृष्टी का जीवन रुखा-सूखा नहीं होता ! सम्यक्त्व की भावनाएं | तीसरी ढाल | छहढाला
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3.33 सम्यक्त्व है पर संयम नहीं फिर भी इन्द्रादि द्वारा पूजा! सम्यक्त्व का महात्म | तीसरी ढाल |छहढाला
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3.38 सम्यक्त्व बिना यह मनुष्य भव पुनः मिलना कठिन है, व्यर्थ समय बर्बाद ना करें ! तीसरी ढाल | छहढाला
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3.37 सम्यग्दर्शन बहुत सरल है ! सम्यक्त्व के बिना समस्त ज्ञान और चारित्र मिथ्या है! तीसरी ढाल |छहढाला
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3.34 सम्यग्दृष्टि घर में रहता हुआ भी कैसे रहता है ? राग है पर मोह नहीं !! तीसरी ढाल | छहढाला
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Akrura Das's Personal Meeting Room
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02. भक्तामर स्तोत्र | काव्य 1 | इंद्र भी जिनदेव के चरणों में झुकता है | वीतरागता ही श्रेष्ठ है
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01. भक्तामर स्तोत्र | विशेष परिचय | कोई सांसारिक कामना नहीं !! निष्काम भक्ति
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