हे मित्र मन जागो जरा
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इस जहां में कोई नहीं है अपना सब छोड़ कर जाना है , चेत जाओ
31:44
इस शत्रु मन को मारकर क्या हम भी विजयी होयेंगे ।
28:11
निंदा और अपमान सब सहना चाहिए
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कबीर का सहज समाधि_सदगुरु अभिलाष साहेब
21:42
संत रामपाल जी महाराज के मंगल प्रवचन || #santrampaljimaharaj
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दुनियां में किसके लिए मरते हो।सब निरर्थक है
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संसार के प्राणी और पदार्थ दुख रूप हैं। सद्गुरु अभिलाष साहेब जी
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