अरे मन उभय रूप जग जान (पद व्याख्या - भाग २) | Ubhaya Roop Jaga Jaan (Lecture 2)
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अरे मन उभय रूप जग जान (पद व्याख्या - भाग १) | Ubhaya Roop Jaga Jaan (Lecture 1)
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Arey Man! Ubhaya Roop Jaga Jaan Part-2/2 || अरे मन! उभय रूप जग जान -भाग 2/2
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मोरी तोरी लर, ओरी गोरी ! नँद को री (पद व्याख्या) | Mori Tori Lara, Ori Gori (Keertan & Explanation)
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तेरा नाम सुन के दाता , दर पर फकीर आया
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युगल विहार अधिकारी | Yugal Vihar Adhikaari (Vyakhya)
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मन की 3 स्थितियां क्या है ? ||Swami parmanand ji maharaj || Satsang
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जनकपुरी की गली-गली में विहरत अवधकिशोर | पद: श्री नारायण दास भक्तमाली जी मामाजी महाराज
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