Sabiha Saba, वह मेरे शहर में ठहरे भी तो इतना ठहरे जैसे परवाज़ के दौरान ज़मी पर साया
15:55
Sabiha Saba, हकीकत है की हम तनहा है ,तन्हाई मे जीते हैं
35:13
Peer Zada Qasim, चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए
11:24
Shanti Saba, Mushaira-E-Shayrat, 1991, Convener SAMEER FAIZI
22:53
Bashir Badr, वो चांदनी का बदन, खुशबुओ का साया है, बहुत अज़ीज़ हमे है मगर पराया है, बशीर बद्र
17:03
Sabiha Saba, वह मेरे शहर में ठहरे भी तो इतना ठहरे जैसे परवाज़ के दौरान ज़मी पर साया
18:56
Manu Vaishali का गीत सुन रोने लगे श्रोता l Red FM I The Kavi Collective
12:58
Sabiha Saba, Annual Sir Syed Day Mushaira-2004 (USA)
13:56