VC32 35 श्रोत्रिय, निष्पाप, कामनासे पर, ब्रह्मवेत्ता, ब्रह्मनिष्ठ, शान्त, अकारण दयासिन्धु, हितैषी हो
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BGS0621c इन्द्रियातीत, शुद्धसूक्ष्मबुद्धिसेग्राह्य अनंतआनन्दमें स्थितयोगी स्वरूपसे विचलित नहीं होता।
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VC31 34 ज्ञानी गुरु जो वक्तृत्व कलामें भी सक्षम हो, ब्रह्मवित्त, कामना रहित शांत हो उनसे सीखना है।
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BGS0621b इंद्रियोंसेपरे आत्यंतिक सुख बुद्धिके माध्यमसे अनुभव किया जा सकता है जो आत्मासे संबंधित है।
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BGS0620b सातत्य से 24/7 प्रभु का चिंतन कैसे करें? रागद्वेष का त्याग कर के चित्तशुद्धी करनी होगी।
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व्याकरणवर्गः ५-इत्संज्ञा-अभ्यासः
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tagesschau 20:00 Uhr, 04.01.2025
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timeless works of classical music(No Ads) | Vivaldi, Mozart, Beethoven, Chopin | Healing, Relaxation
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