परिणमन की चिंता में व्याकुल क्यों रहना? | क्रमबद्ध पर्याय
9:17
आकुलतामय संसार सुख, जो निश्चय से है महा दुख।
35:46
धर्म क्यों करें ? कब करें ?
8:37
वास्तविक और आभासी (काल्पनिक) आनंद का अंतर समझे !!
55:47
m.m.p.721 आत्म चिंतन में मन क्यों नहीं लगता
30:57
रात्रि भोजन त्याग अनिवार्य हैं
10:17
क्रमबद्ध पर्याय के निषेध से सर्वज्ञता का निषेध
17:23
तुम्हारे साथ कुछ भी बिना कारण के नहीं हो रहा | कर्मसिद्धांत | पिछले जन्म का फल आज इसलिए मिल रहा है
29:35