ज्ञानानुभूति से प्राप्त आनन्दफल ही भोगने लायक है, कर्मफल नहीं - भाग 01 : अपूर्ण प्रवचन : आत्मन्

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प्रतिज्ञा लिए बिना परिणाम नहीं रुकते, आशा बनी रहती है और प्रसंग पड़ने पर तद्रूप परिणाम हो जाते हैं

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स्वाध्याय भी एक तपश्चरण है, उत्कृष्ट तप है; सम्यग्ज्ञान के 8 अंग हमारे कर्मों का उच्छेद करने वाले है

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#घर घर में #मांसाहार कर #चुका है #प्रवेश #जैन #मुनि #वीर सागरजी का #वीडियो सुन रह जाएंगे #भौंचक्के!

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अष्टदेवी गर्भ कल्याण DAY 2 पिडावा पंचकल्याणक

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गर्भ कल्याणक DAY 2 पिडावा पंचकल्याणक

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सांख्यदर्शनम्: शाश्वतं ज्ञानम् - Sankhya Darshan: The Eternal Knowledge of Prakriti and Purusha

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बहोरीबंद के बड़े बाबा का हुआ गगन विहार।सुने पूरा रहस्य, विरोधी ढेर हो गए। सुधा सागर जी महाराज

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