1346=जो इस संसार को आश्चर्य की दृष्टि से देखता है वही मनुष्य जीवन रूपी कीमत प्राप्त हैकर पाता हे
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1344=नया वर्ष उसी के जीवन में मुबारक होता है जो कुछ नया बनना चाहता है इस प्रसंग सेसमझिए
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1335=वह सुख शांति आनंद कहां है और कैसे मिलेगा जिसे पाने के बाद हम टेंशन फ्री हो जाते हैं
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Maischberger: Scholz verliert jede Selbstbeherrschung!
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साक्षात्कार Interview - महाशय अमित श्री सत्संग
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1343=मनुष्य जीवन का परम कर्तव्य क्या है इस प्रसंग से समझिए
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बुधवार स्पेशल भजन : ॐ गं गणपतये नमो नमः, वक्रतुंड महाकाय, सुखकर्ता दुखहर्ता, गणेश अमृतवाणी व आरती
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1347=संत के मिलते ही जो सब कुछ है वह प्राप्त हो जाता है जो कुछ नहीं है उसका अनुभव हो जाता है
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